योग
आधुनिक युग में योग का महत्व
आधुनिक युग में योग का महत्व काफी बढ़ गया है। इसके बढ़ने का
एकमात्र कारण शारीरिक श्रम में कमी और मन की व्यग्रता और तनाव है। आधुनिक मानव को आज
योग की अधिक आवश्यकता है क्योकि मन व् शरीर दोनों ही अत्यधिक तनाव, प्रदूषण तथा व्यस्तता
से भरे जीवन से रोगग्रस्त हो चुका है। योग स्वास्थ्य का पूरा विज्ञानं है। योग एवं स्वास्थ्य एक दूसरे के पूरक है। इसका सम्बन्ध शरीर के सारे अंगो के अच्छी तरह काम करने,
उनके ठीक से तालमेल
और मन के सही रूप से कार्य करने से होता है। आधुनिक चिकित्सा प्रणाली का सम्बन्ध रोगों, उनके उपचार और उनके
इलाज से होता है, जबकि योग न सिर्फ अंगों को रोग मुक्त करने में सहायता प्रदान
करता है बल्कि अंगों की शक्ति भी बढ़ जाती है जिससे व्यक्ति को स्वस्थ्य व् रोग मुक्त
जीवन जीने को मिलता है। प्रतिदिन योगासन से शरीर में सूजन रहती है, प्राकृतिक,
मानसिक और भावनात्मक
असंतुलन का निरोध होता है।
रोगों को दूर करने में सहायक
योग का मुख्य उद्देश्य भौतिक, मानसिक, सामाजिक और अध्यात्मिक स्तर पर व्यक्तित्व का विकास करना है। आधुनिक
युग में मानव जीवन दुःख व् तनाव से परिपूर्ण है, अतः किसी भी व्यक्ति
को स्वस्थ्य कह पाना बहुत ही मुश्किल है। योग चिकित्सा तीन रूपं में सहायक है - प्रोमोटिव
,क्यूरेटिव , और प्रवेन्टिव।
योगासन के पांच सरल आसन
योग करते रहने से किसी भी प्रकार का रोग, शोक, संताप, तनाव, अनिद्रा और बीमारी
पास नहीं फटकती है। वैसे यदि आपके पास योगासन
करने का समय नहीं है तो आप सूर्यनमस्कार करके ही फिट बने रह सकते हैं और अदि समय है
तो आप ये पांच आसान अवश्य करें।
संगीत और योग
संगीत और योग का बड़ा गहरा संबंध है। दोनों से ही अध्यात्मिक शांति मिलती है। संगीत और योग दोनों ही साधना है जिसका मानव देह पर अद्भुत प्रमाणयी प्रभाव पड़ता है। संगीत की सभी विधाएँ मनोरंजन से भरपूर व् जीवनप्रदायिनी हैं,
जिसमें आध्यात्मिक
संगीत सर्वोपरि है।
सर्वांगासन: अंगो का व्यायाम
सर्वांगासन योग क्या है
विधि
पीठ के बल लेट जाएं।
हाथों को जांघो के पास रखें।
अब पैरों को पहले ३० डिग्री फिर ६० डिग्री और उसके बाद ९० डिग्री
तक ले जाएं।
हाथों को दबाकर पावों को सिर की ओर लाएं।
सहारे के लिए हथेलियां को पीठ पर रखें।
अपने शरीर को सीधा इस तरह से करें कि ठोड़ी छाती पर आकर लगे।
अपने इस हिसाब से इस मुद्रा को धारण करें।
लाभ
सम्बंधित परेशानी जैसे सफ़ेद होना, बालों का झड़ना इत्यादि में लाभ पहुँचता है।
मेटबॉलिज़म को संतुलित करते हुए वजन को बढ़ने से रोकता है।
यह मधुमेह के नियंत्रण के लिए काफी लाभकारी आसन है।
अपच व् कब्ज से निजात दिलाता है।
नेत्र दृष्टि को बढ़ाने में सहायक है।
सिर दर्द और माइग्रेन को कम करने में सहायक है।
अस्थमा के रोगियों के लिए लाभकारी है।
Brilliantly written
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